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विसंगति दूर कर कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु 62 करे सरकार

न्याय लीन प्रक्रिया में हो रहे निगम मंडल के अनावश्यक खर्च को रोके सरकार 
विसंगति दूर कर कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु 62 करे सरकार
भोपाल। मध्यप्रदेश शासन की तत्कालीन सरकार द्वारा राज्य के कर्मचारियों की सेवानिवृत्त अवधि 62 वर्ष की गई उसका पालन जारी है परंतु निगम मंडलों के कर्मचारियों की सेवानिवृत्त में विसंगति है। कही-कहीं निगम मंडल में जहां 58 वर्ष में ही कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति दी जा रही है तो किसी मंडल में यह आयु 60 वर्ष है। इसी प्रकार कहीं-कहीं यह सेवानिवृत्ति वर्ष 62 है। सेवानिवृत्ति को लेकर इसी विसंगति के लिए सेवानिवृत्त कर्मचारियों द्वारा श्रम न्यायालय एवं उच्च न्यायालय में प्रकरण प्रस्तुत किए हैं। 
मप्र कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अनिल बाजपेयी और सपनि के अध्यक्ष श्यामसुंदर शर्मा ने कहा कि न्यायालय द्वारा प्रकरणों में न्यायसंगत प्रक्रिया के आधार पर कर्मचारियों के पक्ष में निर्णय दिए जा रहे हैं।  लेकिन वर्तमान सरकार जिसने अपने वचन पत्र में चुनाव पूर्व उल्लेख किया था। इसके अनुसार जो सुविधा राज्य शासन के कर्मचारियों को प्राप्त हो रही है, वह ज्यों कि त्यों निगम मंडलों के कर्मचारियों को दी जाएगी, परंतु सरकार के एक वर्ष का कार्यकाल पूरे होने जा रहे हैं अभी तक निगम मंडलो के संबध में कोई निर्णय नहीं लिया गया। मध्य प्रदेश शासन के मुख्यमंत्री एवं अन्य जिम्मेदार मंत्रियों  प्रशासनिक अधिकारियों से अनुरोध है कि इस नीति के निर्धारण में तत्काल विचार किया जाए, निगम मंडलों में सेवानिवृत्ति एवं  वेतनमान विसंगति को दूर कर एकरूपता के आदेश जारी करें, जिससे शासन के व कर्मचारियों के न्यायालय प्रक्रिया में होने वाले आर्थिक भार तथा अनावश्यक समय की बर्बादी को रोका जा सके। यदि इस संबंध में निर्णय नहीं लिया जाता है तो निश्चित रूप से न्यायिक प्रक्रिया में सरकार को करोड़ों रुपए खर्च करना पड़ेगा और कर्मचारियों को बिना कार्य किए 62 साल के पूर्व सेवा निवृत्ति देने के कारण से न्यायालय आदेश के परिपालन में वेतन भुगतान करना पड़ेगा और अन्य सुविधा का लाभ भी देना पड़ेगा। 


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