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कोरोना काल में ऑनलाइन चैंपियनशिप ने मिटा दी दूरियां

 विश्वनाथन आनंद बनने चले नन्हे सितारे 

कोरोना काल में ऑनलाइन चैंपियनशिप ने मिटा दी दूरियां 



भोपाल। मध्य प्रदेश सहित देश के नन्हें शतरंजी अब विश्वनाथ आनंद बनने चल पड़े हैं। गुमनामी और उम्र की बाधा को पीछे छोड़ देश के ये बच्चे ऑनलाइन चैंपियनशिप से लाइम लाइट में आए हैं। इन्होंने कोरोना काल में लॉकडाउन के बंधन में खोया नहीं बल्कि पाया है। देश भर से छोटी उम्र में ही विश्वनाथन आनंद बनने का सपना संजोए कोलकाता की राइमा भट्टाचार्जी केवल 11 वर्ष की हैं, लेकिन यह अकेली नहीं। यहीं से केवल 7 वर्ष की अस्मिता बिस्वास ने ऑनलाइन टूर्नामेंट से खुद को साबित किया है। इसके अलावा मात्र 6 वर्ष की दीशिता, 8 वर्ष के श्रेयान बेग घर पर ही कंप्यूटर के जरिए प्रैक्टिस करते हैं। 7 वर्ष के शुवायू दत्ता मोबाइल पर पढ़ाई के बाद शतरंज की प्रैक्टिस भी करते हैं। इनका भी सपना है कि वे एक दिन आनंद जैसी घातक चालें चल सकेंगे और देश के लिए गोल्ड लाएंगे। 

मास्टर आयुष मुखर्जी 12 वर्ष और 11 वर्ष के अयिशिक बिस्वास खुद को शतरंज केखेल में निखारने में जुटै हैं और आनंद कि तरह देश का प्रतिनिधित्व करना चाहते हैं। उन्होंने हाल ही में आयेाजित ऑनलाइन चैंपियनशिप में अपनी चालों से काफी प्रभावित किया है। 

उल्लेखनीय हो कि उक्त सभी खिलाड़ी एलएएचएस ग्वालियर द्वारा आयोजित ऑनलाइन शतरंज टूर्नामेंट में पार्टिसिपेट कर प्रभावी छाप छोडऩे में सफल रहे हैं। आयोजनकर्ता ऋषभ जैन बताते हैं कि देशभर के नन्हें शतरंजियों ने इस कोरोना काल खुद का स्थापित करने में सफलता पाई है। इनकी महारत उन्हें बड़ा खिलाड़ी बनाने के लिए काफी है। इनमें राइमा भट्टाचार्जी11 वर्ष, अस्मिता बिस्वास 7 वर्ष, दीशिता दे 6 वर्ष, शुवायू दत्ता 7 वर्ष, अयिशिक बिस्वास 11 वर्ष, आयुष मुखर्जी 12 वर्ष के नाम शामिल हैं। 


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