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मेमने के सामने शेरों को आया पसीना, साधारण खिलाड़ी ने अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी को पटका

मेमने के सामने शेरों को आया पसीना

साधारण खिलाड़ी ने अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी को पटका

अकादमी में प्रशिक्षण को लेकर उठे सवाल, क्या कागजी शेर साबित हो रहे खिलाड़ी

भोपाल। शेर की मौजूदगी की दहशत जंगल में उसके शिकार के लिए उसके खूंखार और बेरहम रवैये के लिए जानी जाती है, लेकिन दहशत भी खत्म हो जाए अगर वह बकरियों के साथ आंख-मिचौली खेले। ऐसा ही कुछ खेल एवं युवा कल्याण विभाग में देखने में आ रहा है जहां पर अकादमी के शेर मेमनों के सामने जोर आजमाईश कर रहे हैं। इसका उदाहरण मप्र के खेल एवं युवा कल्याण विभाग के बाक्सिंग रिंग पर उस समय देखने को मिला जब राष्ट्रीय मेडलिस्ट खिलाडिय़ों ने नौसीखियों पर पंच जमाते हुए खुद को काबिल साबित कर दिया। हालांकि इस प्रतियोगिता में जबलपुर, ग्वालियर और अलीराजपुर के सेंटर्स के खिलाडिय़ों को प्रतियोगिता में शामिल ही नहीं किया गया। 

असल में टीटी नगर की बाक्सिंग अकादमी में आयोजित नाइट फाइट बाक्सिंग में जिस प्रकार मैच कराए गए वह काफी हास्पास्पद थे। इसमें बाक्सिंग अकादमी के सभी खिलाड़ी पूर्व अनुभवी और राष्ट्रीय बॉक्सर हैं, जबकि उनके सामने कनार्टक के सभी प्रतिद्वंदी अनुभवहीन और नवोदित खिलाड़ी हैं। इनकी आपसी फाइट का रिजल्ट साधारण तौर पर अविश्वसनीय नहीं हो सकता। इसके बावजूद अगर अंतरराष्ट्रीय बाक्सर ऐसे ही साधारण खिलाड़ी के सामने हथियार डाल दे तो यह अचंभा जरूर लगता है। 

हाई लेवल की ट्रेनिंग पर लाखों खर्च  

सरकारी खर्च से हाई लेवल की विशेष ट्रेनिंग के नाम पर लाखों खर्च कर चैंपियन बनाने का दावा करने वाले अकादमी के कोच  दूसरी ओर साधारण खिलाडिय़ों के सामने अकादमी के खिलाड़ी पसीना छोड़ रहे हैं। इसका जीता जागता उदाहरण उस वक्त देखने को मिला जब विभाग के विशेष कम्बाइंड ट्रेंनिंग कम बॉक्सिंग चैंपियनशिप में अंतरराष्ट्रीय बाक्सर अंजलि शर्मा को एक साधारण नौसीखिए खिलाड़ी के सामने मुंह की खानी पड़ी। अंजलि शर्मा को कर्नाटक की काली वानी ने हराया। 

अकादमी पर विभाग का लाखों खर्च

राजधानी के सेंटर पर अभ्यासरत खिलाडिय़ों को अनुभवी एनआईएस कोच द्वारा प्रशिक्षण दिया जाता है। ऐसे में यदि ट्रेंड और अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी नए खिलाडिय़ों के सामने हार जाए, तो प्रदेश के अन्य जिलास्तर पर संचालित हो रहे सेंटर्स की क्या हकीकत होगी यह समझने की बात है। जबकि प्रतिदिन अकादमी के नाम पर प्रति खिलाड़ी हजारों खर्च किए जा रहे हों। बावजूद इसके रिजल्ट हकीकत बयां कर रहा हो, तब देखना है कि खेल मंत्री उक्त कारनामे पर क्या प्रतिक्रिया देंगी। 

राष्ट्रीय खिलाड़ी के सामने नवोदितों की फाइट

नाइट फाइट बाक्सिंग में जिस प्रकार फाइट फिक्स की गई वह भी एक नजर में अजीब ही दिखाई देती है। फाइट में मप्र अकादमी के 2 अंतरराष्ट्रीय बॉक्सर, 5 नेशनल मेडलिस्ट बाक्सर्स और 1 राष्ट्रीय खिलाड़ी जिन विरोधियों के सामने फाइट कर रहे थे, वे सब अनुभवहीन और प्रशिक्षु थे। ऐसेे में इस फाइट का क्या उद्देश्य है यह भी समझ से परे है। 


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