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श्रृंखला 'गमक' का ऑनलाइन प्रसारण

विविध कलानुशासनों की गतिविधियों का ऑनलाइन प्रदर्शन


भोपाल । मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग की विभिन्न अकादमियों द्वारा कोविड-19 महामारी के दृष्टिगत बहुविध कलानुशासनों की गतिविधियों पर एकाग्र श्रृंखला 'गमक' का ऑनलाइन प्रसारण सोशल मीडिया प्लेटफोर्म पर किया जा रहा है| श्रृंखला अंतर्गत आज सायं 07:00 बजे से कालीदास संस्कृत अकादमी, उज्जैन द्वारा पं. कुलदीप दुबे एवं साथी, उज्जैन का 'श्रीराम भजन' और सुश्री प्रीति बोरलिया एवं साथी, उज्जैन के 'मालवी गायन' की प्रस्तुति का प्रसारण विभाग के यूट्यूब चैनल- https://youtu.be/ZInl_Vp2elA और फेसबुक पेज https://www.facebook.com/603973489726559/posts/2714904321966788/?sfnsn=wiwspwa पर लाइव प्रसारित किया गया| 

एक घंटे की इस प्रस्तुति में सर्व प्रथम पं. कुलदीप दुबे द्वारा तुलसी राम भजन तुलसीदास जी कृत विनय पत्रिका से गणेश वंदना- गाइये गणपति जगवन्दन, राम जन्म बधाई- जन्मे हैं राम रमैया अवध में बाजे बधैया, बाल लीला- ठुमक चलत रामचंद्र, वन गमन- वन को चले दोनो भाई सीतामाई, राम स्तुति- 'श्री राम चन्द्र कृपालु भजमन' राम भजन प्रस्तुत किये|

प्रस्तुति में तबले पर - जयेन्द्र रावल, ढोलक पर- ब्रजेश अंजान, की बोर्ड पर- दीपक गिरी एवं पेड पर- श्री सोनू ललावत ने संगत दी| 

श्री कुलदीप दुबे का जन्म ब्राह्मण परिवार में हुआ, आपने पाँच वर्ष की आयु से भजन गायन की शुरुआत माता-पिता के मार्गदर्शन में अपने मंदिर से की तत्पश्चात् पं. हरिहरेश्वर पोद्दार जी के सानिध्य में गुरु शिष्य परम्परा के अन्तर्गत नृत्य, वादन एवं गायन (लोक एवं शास्त्रीय) का विधिवत प्रशिक्षण प्राप्त किया। श्री दुबे को संगीत (गायन, वादन व नृत्य ) के क्षेत्र में प्रस्तुति व प्रशिक्षण देते हुए लगभग सोलह वर्ष हो चुके हैं | आप राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय मंचो पर अपनी प्रस्तुति दे चुके हैं|  

दूसरी प्रस्तुति सुश्री प्रीति बोरलिया द्वारा 'मालवी गायन' की हुई जिसमें गणेश वंदना- सेवा म्हारी मानी लो, वर्षा गीत- मेवा जी आप बरसो ने धरती निबजे, नायक-नायिका गीत- लखी बणजारा रे, श्रृंगार गीत- म्हारा लुगड़ा रा नौं सौ रुपया रोकड़ा होता, जल वादली रो पाणी, अरे शंकरया से पाटन की पेड्या पे भक्त ना एवं कबीर लोक भजन- गर्व करे सो गवारा का गायन प्रस्तुत किया| 

प्रस्तुति में सह गायन में - सुश्री पूजा चौहान, तबले पर- श्री जयेन्द्र रावल, ढोलक पर- श्री बृजेश अंजान, हारमोनियम पर- श्री रोहित परिहार एवं परकुशन पर- श्री सक्षम देवले ने संगत दी|

सुश्री प्रीति बोरलिया का जन्म एक सांगीतिक परिवार में हुआ, आपने मालवी गायन की शिक्षा अपनी माता सुश्री अनुसुईया बोरलिया एवं पिता श्री हीरा सिंह बोरलिया से ग्रहण की तत्पश्चात पं. रमाकांत दुबे एवं पं. ओमप्रकाश शर्मा से सुगम संगीत और शास्त्रीय संगीत की शिक्षा ग्रहण की| आपने विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन से संगीत में पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त की| सुश्री बोरलिया वर्ष 1992 से आकाशवाणी और दूरदर्शन से नियमित प्रस्तुतियां देती आ रही हैं| आप देश के कई प्रतिष्ठित मंचों पर अपनी प्रस्तुति दे चुकी हैं|           

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