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-प्रदेश के कलाकारों ने मोह लिया दर्शकों का मन

जिक्र-ए-मीर से सराबोर हुआ बंगाल का मंच 
-प्रदेश के कलाकारों ने मोह लिया दर्शकों का मन



भोपाल ब्यूरो
पश्चिम बंगाल की धरती का सत्यजीत रे ऑडिटोरियम कभी तालियों की गडग़ड़ाहट से गूंजता सुनाई देता था तो कभी किसी कलाकार की अदाकारी की वाहवाही के स्वरों से भर जाता था। मप्र की राजधानी से पहुंचे कलाकारों के जिक्र-ए-मीर ने लोगों को कभी स्तब्ध किया तो कभी मंत्रमुग्ध कर दिया। उर्दू नाट्य समारोह में मीर का जिक्र एक यादगार छोड़कर चला गया।
पश्चिम बंगाल उर्दू अकादमी द्वारा आयोजित उर्दू नाट्य समारोह के दौरान यह हालात बने। मंच पर मप्र की राजधानी भोपाल से पहुंची माही सोश्यो कल्चरल सोसायटी के कलाकार थे। साथ था महाकवि मीर का जिक्र। निर्देशक निजाम पटेल की अगुवाई में हुए इस नाटक में सब टीवी के धारावाहिक अलादीन के कलाकार प्रखर सक्सेना मुख्य भूमिका में मौजूद थे। जबकि भोपाल की धरती से आए रंगमंच के मंजे हुए और उभरते कलाकारों की टोली में कई नए-पुराने नाम शामिल थे। जिक्र-ए-मीर को पेश करने में प्रखर सक्सेना, निजाम पटेल, शाहवेज सिकंदर, अदनान खान, आदित्य गड़कारिया आदि ने मुख्य भूमिकाएं निभाईं। मीर के जिक्र को जीवंत करने के लिए प्रकाश, ध्वनि और कला को खास महत्व देते हुए कहानी को मौजूं बनाने के लिए परिधान पर भी विशेष ध्यान दिया गया था। पश्चिम बंगाल उर्दू अकादमी के पदाधिकारियों ने इस आयोजन को अपनी श्रेष्ठ उपलब्धि करार देेते हुए कलाकारों का इस्तकबाल किया। साथ ही इस प्रस्तुति को अपनी यादगार प्रस्तुतियों का हिस्सा माना। 
प्रदेश की इकलौती संस्था माही
भोपाल की सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था माही सोश्यो कल्चरल सोसायटी को यह नायाब मौका मिला है। पश्चिम बंगाल के मंच पर आयोजित होने वाले इस समारोह में प्रदेश की यह इकलौती संस्था है, जिसे अपनी कला दिखाने का अवसर दिया गया है। संस्था के निजाम पटेल ने बताया कि 18वीं सदी तक किसी शायर ने अपनी आत्मकथा नहीं लिखी थी, लेकिन जिक्र-ए-मीर एक ऐसी कथा है, जिसे महाकवि मीर तकी मीर की आत्मकथा कहा जा सकता है। मीर के इस जिक्र में उनकी जिंदगी के कई पहलुओं को बारीकी से पिरोया गया है। उन्होंने कहा कि मीर की कल्पनाओं और उनके ख्याल को उन्हीें के अंदाज में पेश करने की एक कोशिश जिक्र-ए-मीर के जरिये की जा रही है। 
जारी रहेगा सिलसिला-ए-मीर
टीवी धारावाहिक से ख्याति हासिल करने वाले प्रखर सक्सेना कहते हैं कि मंच पर किए जाने वाले अभिनय से तत्काल मिलने वाली प्रतिक्रिया किसी भी कलाकार का श्रेष्ठ पारिश्रमिक कहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि वे आगे भी जिक्र-ए-मीर के किस्सों के साथ लोगों से मंच के माध्यम से रू-ब-रू होने की ख्वाहिश रखते हैं। मंच पर अपने कदम जमा रहे कलाकार अदनान अपने अभिनय और प्रस्तुति को लेकर अभिभूत दिखाई दे रहे हैं। उनका कहना है कि आयोजकों से लेकर कलाकार चयन करने वाले ओहदेदारों का शुक्रगुजार हूं, जिन्होंने रंगमंच की बारीकियां समझाने के साथ एक बड़े शो का हिस्सा बनने का मौका दिया। वे कहते हैं कि भविष्य में भी इस तरह के आयोजन में जुड़े रहने की इच्छा रखते हैं।


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