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राजधानी के चिट्ठी मैन के हौसले ने बदलवा दीं कई व्यवस्थाएं

राजधानी के चिट्ठी मैन के हौसले ने बदलवा दीं कई व्यवस्थाएं 


-आरके मंसूरी चालीस बरसों से उठा रहे अव्यवस्थाओं के खिलाफ आवाज



भोपाल ब्यूरो
आम जीवन में, समाज में, सरकारी तंत्र में, अपने आसपास हजारों अव्यवस्थाएं और कमियां मौजूद हैं। सबकी नजर उनपर पड़ती है और इसके लिए जिम्मेदारों को कोसते हुए अपने कर्तव्य से आंख फेर ली जाती है। लेकिन हौसले और उम्मीद के साथ कोई कदम उठाया जाए, तो अव्यवस्थाओं में सुधार भी संभव है और समस्याओं के समाधान का रास्ता भी निकाला जा सकता है। राजधानी के एक शख्स ने यह कर दिखाया है। पिछले चालीस बरसों से अपनी लगन और मेहनत के साथ उन्होंने कई समस्याओं की तरफ सरकारों का ध्यान दिलाया और व्यवस्था सुधार के परिणाम भी वे लेकर आए।
राजधानी के सतपुड़ा भवन स्थित मुख्य अभियंता विद्युत सुरक्षा कार्यालय में सहायक ग्रेड तीन पर पदस्थ रहे आरके मंसूरी को समस्याओं और अव्यवस्थाओं के खिलाफ चिट्ठी लिखने वाला इकलौता व्यक्ति कहा जा सकता है। उन्होंने अपने आसपास फैली हर छोटी-बड़ी समस्या और अव्यवस्था को लेकरचिट्ठी लिखने का एक अभियान छेड़ा। पिछले चालीस बरसों में वे संबंधित जिम्मेदारों को हजारों चि_ियां लिखकर सैकड़ों समस्याओं का समाधान करवा चुके हैं। सिलसिला अब भी जारी है और वे अपनी चि_ी लेखन के साथ अव्यवस्थाओं को दुरुस्त कराने की मुहिम में जुटे हुए हैं। 
नोट के रंग से लेकर कर्मचारी सेवानिवृत्ति आयु तक
पूर्व में प्रचलन में रहे 500 और 100 रुपए के एक साइज और समान रंग होने को लेकर होने वाली परेशानियों को लेकर उन्होंने अभियान छेड़ा। रिजर्व बैंक को लगातार चिट्ठी पत्री करते हुए उन्होंने इस बात को स्वीकार करने तक बात पहुंचाई कि यह अव्यवस्था आमजन के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है। रिजर्व बैंक ने इस बात को स्वीकार किया और बाद में दोनों नोटों के रंग और आकार बदलकर उनकी बात को जन समस्या निवारण का जरिया बनाया। मंसूरी पहले शख्स कहे जा सकते हैं, जिन्होंने सरकारी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु 60 की बजाए 62 करने के लिए चिट्ठी अभियान चलाया था। उनके प्रयासों का नतीजा यह हुआ कि सरकारों ने इस बात को माना भी और लागू भी किया। अब प्रदेश के कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु 62 कर दी गई है। 
कर्मचारियों को मानदेय, नोटों से हटाई पिन
लंबे समय तक जारी व्यवस्था के तहत चुनाव काम में लगाए जाने वाले कर्मचारियों को मानदेय देने की व्यवस्था नहीं हुआ करती थी। इसके लिए मंसूरी ने लंबा पत्राचार किया और मानदेय संबंधी आदेश जारी करवाए। आरके मंसूरी ने ही सबसे पहले आवाज उठाकर इस बात को सरकार और रिजर्व बैंक की जानकारी में लाया गया कि नोटों की गड्डियों में लगने वाली पिन से मुद्रा का नुकसान और अपमान हो रहा है। नोटों के जल्दी कटने, फटने और नष्ट होने के हालात बन रहे हैं। रिजर्व बैंक ने मंसूरी के प्रस्ताव को गंभीरता से लिया और नोटों की गड्डियों में पिन लगाने की व्यवस्था खत्म करके उसके स्थान पर टाईट पैकेजिंग सिस्टम शुरू किया गया।
आरके लिखते रहे, व्यवस्था बदलती रही
-डाक विभाग द्वारा प्रचलित लिफाफे का साइज बड़ा करवाया
-परिवहन विभाग के अंग्रेजी कैलेंडर को हिन्दी करवाया
-फास्ट एवं सुपर फास्ट ट्रेनों में जनरल बोगियों की तादाद 2 से बढ़कर 6 करवाई
-नबी बाग तक लोक परिवहन के साधानों की व्यवस्था
-कक्षा 12वीं की अंकसूची में जन्म तिथि की व्यवस्था
-एक और दो के सिक्कों की पहचान में होने वाली मुश्किल को आसान करवाया
-सहायक ग्रेड-3 के पद के लिए हिंदी टाइपिंग की अनिवार्यता समाप्त करवाई
-पंचायत चुनाव की गणना मतदान स्थल पर करने की व्यवस्था में बदलाव
-आधार कार्ड में सुधार संबंधी कार्यवाही
-राजधानी के सिनेमाघरों में लगने वाली फिल्मों के अश£ील पोस्टरों पर पाबंदी
-राजधानी में मौजूद जर्जर पानी की टंकियों को हटवाया
-रिहाइशी इलाकों के ऊपर से गुजरने वाले इलेक्ट्रिक तारों को हटवाया
-भोपाल में इज्तिमाई शादियों की शुरूआत
-ईमाम-मुअज्जिन की कम तन्ख्वाह को लेकर आवाज उठाई

जारी रहेगा अभियान
आरके मंसूरी कहते हैं कि समस्याओं के खिलाफ उठाना और उसके माकूल समाधान पर पैनी नजर रखना अब मेरी दिनचर्या में शामिल हो चुका है। वे बताते हैं कि उनके कामों को लेकर मुख्यमंत्री से लेकर राज्यपाल तक और पार्षदों से लेकर मोहल्ला सुधार समितियों तथा कई सामाजिक संगठनों द्वारा सम्मान किया जा चुका है, लेकिन असल तसल्ली और सुकून तब मिलता है, जब अपने किए गए प्रयासों से किसी की समस्या को मुनासिब राहत मिल जाए। मंसूरी कहते हैं कि चिट्ठी-पत्री का सिलसिला बरकरार है और हमेशा रहेगा। अव्यवस्थाओं के खिलाफ अपनी बात कहते रहना ही जिंदा रहने का प्रमाण है। 


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