कांग्रेस के संकट मोचक बने जीतू!
-युवा ब्रिगेड सरकार से सत्ता तक निभा रही साथ
खान अशु
भोपाल। जिसके नाम के साथ ही जीत जुड़ा हुआ है, उसकी ईमानदार कोशिशों से पार्टी, प्रदेश, अवाम और उम्मीद लगाने वाले हर शख्स को जीत के दीदार होने की कवायद बनती ही रही है। विपक्ष की भाजपा सरकार में हर मोर्चे पर सत्ता काबिज लोगों को घेरने से लेकर आज प्रदेश में अपनी सरकार को मजबूती देने में भी जीतू पटवारी आगे दिखाई दे रहे हैं। हाल में हुए सियासत के घिनौने प्रयास को देखा जाए या पिछली कोशिशों पर नजर दौड़ाई जाए तो इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि जीतू ने अपनी सूझबूझ, राजनीतिक कौशल और सबसे मिलकर चलने की आदतों ने उन्हें जीत का सेहरा पहनाया है। उनकी इस कोशिशों का नतीजा सरकार और पार्टी को तो हुआ ही है, साथ ही प्रदेश की अवाम को राजनीतिक अस्थिरता के हालात से भी निजात मिली है।
कांग्रेस की प्रदेश सरकार को गिराने की भाजपा की कूटनीति को धराशायी करने वाले चंद लोगों में अगर जीतू पटवारी का नाम सबसे आगे लिया जाए तो यह अतिश्योक्ति नहीं कहलाएगी। उन्होंने त्वरित कमान संभालकर जिस तरह दिल्ली में अपने कौशल का प्रदर्शन किया है, उसने प्रदेश सरकार को एक संकट से उभारने में महति भूमिका अदा की है। दिल्ली से फिसलते और डगमगाते विधायकों को घर वापसी के लिए राजी करने में जीतू की युवा टीम में कुछ और विधायक, मंत्रियों, नेताओं का भी सहयोग रहा, लेकिन इस पूरे एपिसोड ने उन्हें कांग्रेस के लिए संकट मोचक के रूप में स्थापित कर दिया है। इससे पहले भी चले इसी तरह के प्रयासों के दौर में पटवारी ने अपने संबंधों को सही दिशा में इस्तेमाल करते हुए सरकार को मुश्किल हालात में जाने से उभारा है।
कामयाबी पचाने का माद्दा बरकरार
प्रदेश में विपक्षी दल की सरकार के दौर में विधायकी की शुरूआत करने वाले जीतू पटवारी के हिस्से लगातार जीत और निरंतर सफलताओं ने कदम रखा है। विधायक, मंत्री, प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष और उसके बाद उनके हिस्से समन्वय समिति की मौजूदगी भी आई। लेकिन इसके बावजूद जीतू ने अपने काम, व्यवहार और मिलनसारिता में कोई कमी नहीं आने दी और न ही अपने पद को लंबे समय से बरकरार रखे कद पर हावी होने दिया। उनकी सदाबहार छवि ने ही उन्हें सरकार का भी चहेता बना रखा और पार्टी के लिए भी वे विश्वसनीयता का तमगा अपने साथ जोड़ते चले गए।
भाजपा शासन में भी झंडा लहराया
प्रदेश में 15 साल चली भाजपा सरकार के दौरान कभी साइकिल से विधानसभा पहुंचकर और कभी कंधे पर आलू-प्याज के बोरे ढ़ोकर अपना विरोध दर्ज कराने वाले जीतू पटवारी ही रहे हैं। भाजपा सरकार को अपनी गल्तियों और कोताहियों के लिए अनोखे तरीके से याद दिलाने के लिए वे प्रदेशभर में जाने जाते हैं। अपने गृह क्षेत्र इंदौर-राऊ से लेकर प्रदेशभर को कर्मक्षेत्र मानकार चलने वाले जीतू पटवारी वर्तमान दौर की गंदी सियासत के सफेद और स्वच्छ चेहरों में गिने जाते हैं।
युवा टोली कर रही कमाल
प्रदेश की कमलनाथ सरकार में शामिल युवा मंत्रियों ने अपने दम पर अपनी अलग पहचान बनाने में महारत हासिल की है। उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी के अलावा नगरीय प्रशासन मंत्री जयवर्धन सिंह, कृषि मंत्री सचिन यादव, पर्यटन मंत्री सुरेन्द्र सिंह बघेल, वन मंत्री उमंग सिंघार आदि प्रदेश सरकार का ऐसा चेहरा बन चुके हैं, जिन्हें आगे कर मुख्यमंत्री कमलनाथ पार्टी आलाकमान के सामने इस बात को साबित करने में कामयाब हो जाते हैं कि उन्होंने पार्टी की युवा थीम को आगे बढ़ाने में कोई कोताही नहीं की है। साथ ही इस टीम के जोश से वह प्रदेश को तरक्की के रास्ते पर आगे ले जाने में कामयाब भी हुए हैं और प्रदेश की जनता भी इससे खुश दिखाई दे रही है।
एक चेहरा प्रदेश में लहराने लगा
पहली बार विधानसभा की सीढ़ी चढ़े राजधानी की मध्य विधानसभा के विधायक आरिफ मसूद ने अपनी अलग कार्यशैली और मुद्दों जनित सियासत से खुद को प्रदेश का नेता स्थापित करने की महारत हासिल की है। आरिफ मसूद द्वारा लगातार अपने तरीके से प्रदेश व्यापी सियासत को आगे बढ़ाना अब उनकी कामयाबी का रास्ता बनता जा रहा है। सरकार अस्थिरता के पिछले दौर में मसूद ने ही कुछ भाजपा विधायकों को अपने साथ खड़ा कर सरकार को संकट से उबारा था। अपने व्यवहार और सभी से बेहतर तालमेल के लिए जाने जाने वाले मसूद की क्षमताओं को कमलनाथ समय-समय पर इस्तेमाल करते रहे हैं।
अब इंदौर से उठी एक युवा आवाज
नगरीय निकाय की सियासत से जुड़ी इंदौर की एक आवाज अब प्रदेश के सियासी आसमान पर गूंजती सुनाई देने लगी है। लगातार अपने काम और व्यवहार से पार्षद बनते आ रहे अनवर दस्तक स्टुडेंट पॉलिटिक्स से लेकर युवा कांग्रेस तक में अपना दखल रखते आए हैं। मुद्दों को लेकर विपक्षी भाजपाई नेताओं को घेरने की उनकी काबिलियत अब उन्हें प्रदेश की राजधानी भोपाल तक पहचान दिलाने लगी है। केन्द्र की दमन नीति के तहत लागू किए जा रहे सीएए-एनआरसी को लेकर पिछले दिनों अनवर ने अपनी ही परिषद के एक भाजपा पार्षद को जमकर घेरा भी और उन्हें माकूल जवाब देकर इस बात से सावधान किया कि सिर्फ बोलने से कुछ नहीं होता, बल्कि तथ्यों के साथ बात करने से किसी नतीजे पर पहुंचा जा सकता है। इंदौर से हुई शुरूआत उन्हें देवास, शाजापुर, सारंगपुर, उज्जैन, रतलाम, मंदसौर, बुरहानपुर, खरगोन समेत प्रदेश के कई मंचों तक पहुंचा चुकी है। अनवर अपनी सियासी समझ के साथ अगले कदम बढ़ाते जा रहे हैं, जिसकी खनक राजधानी में भी सुनाई देने लगी है।
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