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बालिकाओं सशक्त बनाने आशी चला रही जागरूकता अभियान

 बालिकाओं सशक्त बनाने आशी चला रही जागरूकता अभियान



भोपाल। कोरोना की तो वैक्सीन बन गई है, लेकिन समाज के मन में विकृत मानसिकता के वायरस खत्म नहीं हुए हैं। यही कारण है कि बच्चियों और बालिकाओं के साथ दरिंदगी की खबरें आती रहती हैं। इसके लिए जहां समाज में बालिकाओं को कमजोर समझा जाना है, वहीं इसके लिए ग्रामीण समाज का रहन-सहन भी जिम्मेदार हैं। 

बालिकाओं को अपने अधिकार के प्रति जागरूक करने और उन्हें शिक्षा के लिए प्रेरित करने के लिए समाजसेवी आशी चौहान लगातार कार्यक्रम चलाती रही हैं। इसी क्रम में भोपाल के चिनार पार्क में ग्रामीण महिलाओं और बालिकाओं के लिए विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों की बालिकाएं आज भी शिक्षा से महरूम हैं। यह उनके अधिकारों का हनन है। छोटी उम्र में शादी और पुरुषों की सेवा ही परम धर्म है, जैसे स्लोगन उन्हें रटाए जाते हैं। बालिकाओं के साथ उपेक्षापूर्ण व्यवहार होता है। समाज की इसी मानसिकता के चलते उन्हें कई बार असामान्य व्यवहार का सामना करना पड़ता है। इसलिए जरूरी है कि महिलाएं इसके लिए आगे आएं और बालिकाओं और महिलाओं  को सशक्त बनाने में योगदान दें, क्योंकि हमें पुलिस प्रशासन से नहीं, बल्कि इस समस्या से खुद ही निपटना होगा। इसके लिए जरूरी है कि हम बालिकाओं को सेल्फ डिफेंस का प्रशिक्षण दें और उन्हें शिक्षा का महत्व बताएं।

युवा कम्युनिकेटर आशी चौहान ने कहा कि लड़कियां और महिलाएं बदमाशों का शिकार नहीं होंगी, यदि वे सक्षम होंगी। इसलिए उन्हें आत्मरक्षा के गुर सिखाने के साथ-साथ मानसिक रूप से भी मजबूत बनाना होगा। हमारी टीम राजधानी के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में लड़कियों और महिलाओं को जागरूक कर रहीं है। 

अंधविश्वास को लेकर भी जागरूक कार्यक्रम चलाए जाते हैं। उनका कार्यक्रम उन क्षेत्रों को टारगेट करता है, जहां पिछड़े इलाकों में महिलाओं को अंधविश्वास और समाजिक कुरीतियों के चलते इसका अधिक खामियाजा भुगतना पड़ता है। 

सशक्त बनने के दिये टिप्स: आशी चौहान ने महिलाओं को इस मौके पर महत्वपूर्ण टिप्स दिए। इनमें खुद को मजबूत बनाने के साथ ही बच्चियों को भी मजबूत बनाया जाए, जिससे वह समाज में स्वाभिमान लेकर बड़ी हों। लड़कियों के लिए शिक्षा की अनिवार्यता को समझाते हुए उन्हें सामाजिक ज्ञान और शारीरिक तौर पर भी मजबूत करें। आत्मविश्वास का संचार करें, ताकि वे अन्याय के खिलाफ  आवाज उठा सकंे। 


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