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लॉकडाउन में सीजनल व्यापारियों की हालत पतली

 कोरोना से मरे न मरे, कर्ज़ ज़रूर मार डालेगा

लॉकडाउन में सीजनल व्यापारियों की हालत पतली


भोपाल। हर साल की तरह गन्ने की चरखी लगाकर रस का व्यवसाय करने वाले थोक एवम् फुटकर व्यापारियों की हालत पतली है। गर्मी के दिनों में ही चलने वाले इस व्यापार पर परिवार पालने वाले दुकानदार सरकार की बेरुखी से नाराज़ हैं। उनका कहना है कि महामारी के चलते खुलने से पहले ही उनकी दुकानों पर तालाबंदी की मार है। ऐसे में साल भर की जमा पूंजी लगाकर गन्ना उठाने वाले ये व्यापारी पूंजी को खत्म होते देख कर परेशान हैं। गन्ना गोदामों में रखा हुआ ही सूख रहा है और हालत अभी भी ठीक होते दिखाई नहीं दे रहे हैं। 

10 से 12 लाख का नुकसान 

पप्पू भाई चरखी वाले कहते हैं कि गर्मी के चलते सभी जगह गन्ने की चरकी लग जाती हे जिससे गर्मी में लोगो को रस उपलब्ध् करा सके, लेकिन कोरोना के चलते सारी दुकाने बन्द हैं। हालाकि प्रशासन ने कुछ व्यापारियो को छूट तो दी है, लेकिन गन्ने के व्यापारियो को नही।  जिसके चलते व्यापारियो को नुकसान उठाना पड़ रहा है। 

उनका व्यापार साल में तो एक बार सिर्फ गर्मी के सीजन में ही किया जाता है। इसके लिए क़र्ज़ लेके व्यापारी अपनी दुकानें जमाते हैं। ऐसे में इन्हे भरी नुकसान के साथ साथ परिवार के पोषण का संकट खड़ा हो गया है।    



क्या कहते हैं दुकानदार

गन्ने के रस की दुकान चलाने वाले  कई व्यापारियों ने शासन से अर्थिक मदद की गुहार लगाते हुए मांग की है कि उन्हें भी विशेष दर्जा देकर दुकान खोलने या होम डिलिवरी की छूट दी जाए। नारियल खेड़ा पर गन्ने का व्यापार करने वाले दुकानदार पप्पू मिया एवं आसिफ मंसूरी ने बताया कि पिछले लॉक डाउन में भी उन्हें 8 से 10 लाख तक का नुकसान उठाना पड़ा था, जिसका क़र्ज़ अभी तक चुकाना पड़ रहा है। घरो में रोज़ी रोटी  के लाले पड़े हैं। ऐसा ही चलता रहा तो हम रोड पर आ जाएंगे या क़र्ज़ से मर जाएंगे। लगातार हम प्रशासन से गुहार लगा रहे हे, लेकिन कही कोई सुनवाई नही हुई है। अगर ऐसा चलता रहा तो हम गन्ना व्यवसायी किस के आगे हाथ फैलाएंगे ।

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