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समयसीमा खत्म पर नहीं शुरू हो सका नवनिर्मित पुल

 कमरतोड़ महंगाई की दोहरी मार, लंबा रास्ता तय करने मजबूर राहगीर

समयसीमा खत्म पर नहीं शुरू हो सका नवनिर्मित पुल

भोपालकोरोना के चलते पहले ही आर्थिक संकट से जूझ रही भोपाल की आधी आबादी अब अनूठी मार से त्रस्त है। इससे न सिर्फ उनका बजट बिगड़ गया है, बल्कि रोजगार के लिए गंतव्य पर आने जाने के लिए भी उन्हें अधिक समय सड़कों पर बिताना पड़ रहा है, वहीं आसमान छूते महंगे पेट्रोल का अधिकतर हिस्सा इन अधूरे निर्माण के चलते खर्च हो रहा है। इससे उन्हें दोहरी मार झेलने पर मजबूर कर दिया है। 

सुभाष फाटक के समीप करीब 2 वर्ष पूर्व शुरू किए गए नवनिर्मित पुल को आवागमन के लिए अब तक नहीं खोला जा सका है। जबकि आरओबी का अधिकतर काम पूरा हो चुका है। ऐसे में एमपी नगर और पुराने भोपाल को जोड़ता यह आरओबी न सिर्फ मुसीबत, बल्कि बजट भी बिगाड़ रहा है। बता दें कि  सुभाष नगर और अशोका गार्डन तरफ  से एमपी नगर और एमपी नगर से सुभाष नगर व अशोका गार्डन की ओर आवागमन को आसान बनाने के लिए आरओबी का निर्माण चल रहा है। राज्य सरकार की ओर से पीडब्ल्यूडी और रेलवे की तरफ से कंस्ट्रक्शन विभाग इस आरओबी का काम कर रहे हैं। इसका काम कुछ 2 वर्षों पहले शुरू हुआ था, लेकिन अब तक यह शुरू नहीं हो सका है। वह भी ऐसे समय जबकि उक्त रास्ते पर चल रहे मेट्रो प्रोजक्ट का काम जारी है और इसे भी आवाजाही के लिए अवरुद्ध किया गया है। ऐसे में अशोका गार्डन सहित पुराने भोपाल के अधिकतर क्षेत्र की बड़ी आबादी को अब लंबा रास्ता तय कर एमपी नगर तक आना मजबूरी बन गया है। 



आस-पास के निवासियों का कहना है कि आरओबी को पूर्ण कर लिया गया है, लेकिन इसे अज्ञात कारणों से शुरू नहीं किया जा रहा हे। वे कहते हैं कि इससे एक ओर तो उन्हें परेशानी हो ही रही है। एक ओर तो खुदाई के चलते घरों में घूल मिट्टी की गंदगी हो रही है, वहीं इसके कारण छोटे बच्चे और बुजुर्गों पर बीमारी का खतरा मंडरा रहा है। 

वे शंका जाहिर करते हैं कि अब भी इस नवनिर्मित पुल को खोले जाने का रास्ता आसान नहीं होता दिखाई दे रहा है। कारण जो भी हो, जनता की आसानी के लिए तैयार किया गया, लेकिन लंबे समय से बंद यह पुल लोगों की सहनशीलता को भंग करने लगा है। इससे न सिर्फ आवागम प्रभावित हो रहा है, बल्कि आस-पास के घरों में धूल मिट्टी और हवा में प्रदूषण भी फैला रहा है। 

महंगा पेट्रोल और फिर लंबा सफर, जेब पर भारी

एक ओर तो पेट्रोल बेतहाशा महंगा हो चुका है, दूसरी तरफ लोग लंबा रास्ता तय करने पर मजबूर हैं। ऐसे में उन्हें दोहरी मार झेलना पड़ रही है। वे कहते हैं कि हर रोज करीब-करीब 2 से 5 किमी के एक्सट्रा सफर लोगों की जेब पर भारी पड़ रहा है। इससे मासिक आमदनी का अधिकतर हिस्सा पेट्रोल पर खर्च हो रहा है। इसके अलावा बंद किए गए मार्ग से निकलने की कोशिश में कई बार लोगों को खतरा उठाकर बंद मार्ग से निकलना मजबूरी हो गया है। शासन का इस ओर ध्यान देकर जल्दी जनता की आसानी के लिए प्रयास किए जाने चाहिए।


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