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नर्सिंग स्टाफ कर्मचारियों के आंदोलन को आप का समर्थन

नर्सिंग स्टाफ  कर्मचारियों के आंदोलन को आप का समर्थन

मांगें जायज, तुरंत स्वीकार करे सरकार : पंकज सिंह

भोपाल। प्रदेशभर के नर्सिंग स्टाफ द्वारा अपनी 10 सूत्रीय मांगों को लेकर विगत 30 जून से प्रदेश स्तरीय हड़ताल पर हैं। इसी मुद्दे पर 2 दिन पूर्व नर्सिंग स्टाफ  के एक प्रतिनिधिमंडल ने आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों से भेंटकर समर्थन की मांग की थी। आम आदमी पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष पंकज सिंह ने नर्सिंग स्टाफ  की मांगों को जायज ठहराते हुए कहा है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को अति शीघ्र नर्सिंग स्टाफ कर्मचारियों की सभी मांगों को मान लेना चाहिए एवं हड़ताल को समाप्त करवाना चाहिए। जिस प्रकार से अस्पतालों में आए दिन मरीज नर्सिंग स्टाफ  की कमी से अव्यवस्था का शिकार है, इससे चिकित्सा व्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी। अत: चिकित्सा मंत्री मध्य प्रदेश अविलम्ब नर्सिंग स्टाफ के प्रतिनिधिमंडल से भेंट करें एवं उनकी मांगों स्वीकृति प्रदान करें। नर्सिंग स्टाफ कर्मचारियों की समस्त मांगे उनके समान वेतन व सम्मान पूर्वक जीवन जीने के संवैधानिक अधिकारों के तहत आती हैं,  जिनकी मांग  हिंदुस्तान जैसे विशाल लोकतांत्रिक देश में पूर्णता वाजिब है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश भर में मरीजों को अपने सेवा भाव से स्वस्थ और निरोगी करने वाला नर्सिंग स्टाफ  अपनी जायज मांगों को लेकर इस महामारी के दौरान हड़ताल पर जाए यह हितकारी नहीं होगा। आम आदमी पार्टी नर्सिंग स्टाफ की सभी मांगों का समर्थन करती है, चाहे वह समान वेतनमान हो या उन्हें कोरोना योद्धा सम्मान से सम्मानित किए जाने, अथवा पेंशन संबंधी या मेल नर्सों के भर्ती की मांग हो आम आदमी पार्टी सभी का समर्थन करती है। आप पार्टी सभी दस सूत्रीय मांगों का समर्थन करती है। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि कोविड-19 जैसी संकट की घड़ी में जान की बाजी लगाकर नर्सिंग स्टाफ ने काम किया, लेकिन जब हक की बात आई, तो प्रदेश सरकार पीछे हट रही है। वहीं नर्सेस एसोसिएशन ने कहा है कि सरकार को उनकी मांगें पूरी करनी होगी, वरना प्रदर्शन जारी रहेगा। नर्सिंग स्टाफ  के मुताबिक, नर्सों की 70 फीसदी वेतन कटौती अन्याय है, हमें पूरा वेतन दिया जाना चाहिए। महंगाई दोगुना से भी ज्यादा बढ़ गई है। ऐसे में परिवार चलाना किसी मुसीबत से कम नहीं है। कई नर्सिंग स्टाफ 500 किमी से अधिक दूरी तय कर ड्यूटी करती हैं, इसके बावजूद उनकी मांगों को अनदेखा किया जा रहा है। 

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