एकाग्र श्रृंखला 'गमक' का ऑनलाइन प्रसारण
भोपाल। मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग की विभिन्न अकादमियों द्वारा कोविड-19 महामारी के दृष्टिगत बहुविध कलानुशासनों की गतिविधियों पर एकाग्र श्रृंखला 'गमक' का ऑनलाइन प्रसारण सोशल मीडिया प्लेटफोर्म पर किया जा रहा है| श्रृंखला अंतर्गत आज साहित्य अकादमी द्वारा साहित्यिक सांगीतिक प्रस्तुति के अंतर्गत श्री हिमांशु सिंह सोलंकी एवं साथी, बाबई द्वारा हिंदी साहित्य में पिता का गौरव गान एवं चित्रांश बाघमारे, आद्या भारती, हर्ष सक्सेना, सोमेश शर्मा और अनुभूति त्रिवेदी द्वारा 'बाल कवियों की चौपाल' प्रस्तुति दी गई।
प्रस्तुति की शुरुआत हिमांशु सिंह सोलंकी द्वारा साहित्य में पिता के गौरव गान से हुई जिसमें उन्होंने- बड़ी हिम्मत वाले, ताकत वाले और जग से निराले हैं पापा मेरे पापा के गायन से पिता का गौरव गान किया| पिता पर केन्द्रित इस प्रस्तुति में हिमांशु ने यह बताने का प्रयास किया है कि कैसे एक पिता अपने परिवार एवं बच्चों का पालन पोषण करता है, उन्हें संस्कारित करता है| वह पूरा जीवन अपने परिवार को खुशियाँ देने का प्रयास करता है| वहीं एक पुत्र अपने पिता के लिए अपनी भावनाएँ व्यक्त करते हुए कहना चाहता है कि मैं ऐसे पिता को पाकर में धन्य हूँ जिन्होंने मुझे चलना सिखाया, मेरा पालन पोषण किया शिक्षित और संस्कारित किया मेरी हर छोटी-बड़ी आवश्यकताओं को पूरा किया, जीवन के हर कठिन मोड़ पर मुझे संभाला, ऐसे पिता को मैं क्या उपहार दूँ | यदि मैं पूरा जीवन भी उनपर न्योछावर कर दूँ तो वह भी कम होगा|
प्रस्तुति में ढोलक पर- श्री गजेन्द्र परिहार, तबले पर- श्री शशिकान्त शर्मा, बैंजो पर- श्री विशाल यादव, ऑक्टोपैड पर- श्री रजत बैस, कीबोर्ड पर- श्री यश शर्मा, एवं सह गायन में श्री आशीष राज ने संगत दी|
श्री हिमांशु सिंह तेरह वर्ष की आयु से संगीत सीख रहे हैं आपने गायन की प्रारंभिक शिक्षा अपने दादा जी ठा. ब्रजमोहन सिंह सत्यवादी से प्राप्त की उसके बाद सुश्री जयश्री तरडे से सुगम संगीत की शिक्षा ग्रहण की| प्रयाग संगीत विश्वविद्यालय, इलाहबाद से संगीत में डिप्लोमा किया है| श्री हिमांशु मुख्या रूप से सूफी में भजन गायन करते हैं|
दूसरी प्रस्तुति चित्रांश बाघमारे, आद्या भारती, हर्ष सक्सेना, सोमेश शर्मा और अनुभूति त्रिवेदी द्वारा 'बाल कवियों की चौपाल' की प्रस्तुति हुई जिसमें-
श्री चित्रांश बाघमारे ने - भर गया भीतर हरापन, मेघ का संवाद आया|
सुश्री आद्या भारती ने - शहीदों के सम्मान में लिखना, तुमने कलम उठाई है, तो वर्तमान लिखना, हो सके तो तुम, शहीदों के सम्मान में लिखना|
श्री हर्ष सक्सेना ने - देश के तुम वीर जवानों, कभी नहि तुम झुकते हो|
सुश्री अनुभुति त्रिवेदी ने - "आशाएं" सोच सकारात्मक रखो हमेशा, ईश्वर और खुद पर रखो भरोसा।
एवं श्री ने सोमेश शर्मा ने- घर से बाहर मत जाना, घर से बाहर मत जाना भैया कोरोना खड़ो, कविता पाठ किया|
गमक श्रृंखला अंतर्गत 10 जुलाई, 2021 को सायं 07:00 बजे से पंजाबी साहित्य अकादमी द्वारा शाने-ए-विरासत ग्रुप, इंदौर के कलाकारों द्वारा श्री रतनजीत सिंह शैरी के निर्देशन में 'वेहड़ा शगना दा' की प्रस्तुति का प्रसारण विभाग के यूट्यूब चैनल- https://youtube.com/channel/UCL_bmi2Ls6zFZdM3re6QzAQ और फेसबुक पेज https://www.facebook.com/MPTribalMuseum/live/ पर लाइव प्रसारित होगा |
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