आयोग करेगा सिफारिश, अलग से बने अल्पसंख्यक मंत्रालय
भोपाल ।जिस तरह अलग-अलग जातियों, समूह और समुदाय के लिए अलग-अलग विभाग और मंत्रालय काम कर रहे हैं, वैसी ही ताबीर अल्पसंख्यकों की सुविधाओं और समस्याओं के निराकरण के लिए की जाना चाहिए। केन्द्र की तरह प्रदेश स्तर पर भी अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय अलग से काम करेगा तो समुदाय की समस्याओं को आसान समाधान मिल सकेंगे और इसकी सुविधआों के लिए भी योजनाएं बनाना आसान होगा।
मप्र राज्य अल्पसंख्यक आयोग की शुक्रवार को हुई बैठक में इसका निर्णय लिया गया है। आयोग इस सिफारिश को प्रदेश सरकार को भेजने की तैयारी कर रहा है। आयोग अध्यक्ष नियाज मोहम्मद खान की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में सदस्य मौजूद थे। अध्यक्ष नियाज मोहम्मद खान ने बताया कि अलग से मंत्रालय न होने की वजह से अल्पसंख्यक गतिविधियों को रफ्तार नहीं मिल पा रही है। उन्होंने कहा कि मप्र मदरसा बोर्ड, मप्र उर्दू अकादमी आदि ऐसे कई विभाग हैं, जो अल्पसंख्यकों से जुड़े हुए हैं, लेकिन इनका संचालन दूसरे विभागों द्वारा किया जा रहा है। जिससे इनके विकास की गति धीमी है। उन्होंने कहा कि जिस तरह घुमक्कड़ जाति, जनजाति आदि के लिए अलग विभाग काम कर रहे हैं, वैसे भी अल्पसंख्यकों के लिए भी अलग से अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय की स्थापना की जाना चाहिए। नियाज ने बताया कि बैठक में यह भी निर्णय लिया गया है कि आयोग के ऐसे अधिकारी-कर्मचारी, जो अन्य विभागों में सेवाएं दे रहे हैं, उन्हें वापस बुलाने के लिए भी सरकार को प्रस्ताव भेजा जाएगा।
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