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भारतीय संविधान की आत्मा के विरुद्ध है एनआरसी

नागरिकता (संशोधन) विधेयक भारतीय संविधान की आत्मा के विरुद्ध : जमीयत उलेमा


भोपाल/ जमीयत उलमा मध्यप्रदेश के प्रेस सचिव हाजी मोहम्मद इमरान ने लोकसभा के माध्यम से नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019 की मंजूरी पर चिंता प्रकट करते हुए उसे भारतीय संविधान की आत्मा के विरुद्ध बताया है। नागरिकता एक्ट 1955 में  किया गया संशोधन, भारतीय संविधान की मूलभूत धाराएं 14- 15 के विरुद्ध है जो  किसी नागरिक के विरुद्ध के केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग,जन्मस्थान या इनमें से किसी के आधार पर  विभेद की आज्ञा नहीं देतीं।
 जमीयत उलेमा मध्यप्रदेश इस परिवर्तन को भारतीय संविधान के विपरीत मानते हुए यह आशा रखती है कि राज्यसभा में इसको आवश्यक समर्थन प्राप्त न होगा और यह बिल अपने परिणाम को नहीं पहुंचेगा। जमीयत उलमा मध्यप्रदेश प्रदेश स्तर पर संविधान एवं सिद्धांतों की समर्थक सभी पार्टियों से अपील करती है कि वह राज्यसभा के अलावा पूरे प्रदेश में पूरी क्षमता - शक्ति से इसके विरुद्ध अपना मत विरोध करें। हाजी इमरान ने कहा कि जमीअत उलमा मध्यप्रदेश के अध्यक्ष हाजी मोहम्मद हारून साहब ने भी इस बिल का विरोध किया है एवं राष्ट्रीय जमीअत उलमा हिन्द ने केंद्रीय स्तर पर इस बिल का विरोध किया है और राष्ट्रीय अध्यक्ष जमीअत उलमा हिन्द कारी सय्यद उस्मान मंसूर पूरी साहब एवं राष्ट्रीय महा सचिव मौलाना महमूद मदनी ने इस बिल का विरोध केद्रीय स्तर पर किआ है


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