अन्याय के खिलाफ उठ खड़ा हुआ मछुआरा संघ
भोपाल। मछुआरा समुदाय खुद के प्रति सरकार की बेरुख के चलते अब नाराजगी व्यक्त करने के लिए एकजुट हो रहा है। समुदाय के साथ हो रहे अन्याय के प्रति वह सरकार से अपनी अनदेखी का आरोप लगाते हुए कहता है कि सरकार ने योजनाएं तो कई बना दी हैं लेकिन मछुआरों को उसका लाभ मिलना दूर की कौड़ी साबित हो रहा है। ऐसे ही एक मौके पर एकत्र मपमाँझी जनजाति संयुक्त समिति के पदाधिकारियों ने उनके समाज के उत्थान के लिए चलाई जा रही योजनाओं की बात करते हुए कहा कि योजनाएं तो कई चलाई जा रही हैं लेकिन शासन इसके प्रति गंभीर नहीं है। समुदाय के लोग अधिक पढ़े-लिखे नहीं हैं ऐसे में उन्हें योजनाओं के प्रति जागरूक करने के लिए कोई कदम उठाए जाने चाहिए ताकि वे इन योजनाओं से जुड़ सकें और फायदा उठा सकें। समित के अध्यक्ष दीपक रायकवार ने बताया कि उनकी समिति वर्ष 1971 से रजिस्टर्ड है और वर्तमान समिति में 407 लोगों का पंजीयन किया गया है, लेकिन उनकी समिति के सदस्यों को किसी भी योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। कारण पूछने पर वे बताते हैं कि अफसरों की फाइलों में बंद अनेकों योजनाओं से वे अवगत ही नहीं हो पाते, इसके लिए जानकारी का अभाव और कमजोर वर्ग से होने के कारण पर्याप्त नेतृत्व अभाव इसका मुख्य कारण है। उन्होंने कहा कि हालत यह है कि केंद्र सरकार की चेल रही कई योजनाओं में उन्हें महत्व ही नहीं दिया जाता। बल्कि यदा कदा पहुंचने वाले आवेदनों पर लाभ मिलना तो दूर जमा आवेदनों की जानकारी भी उन्हें नहीं मिल पाती है।
मछुआरा समिति बनाने की मांग
मछुआरा समिति ने मांग की है कि जिस प्रकार से अधिकारी गैर मछुआरा जाति से समिति बनवा रहे हैं वह गैर कानूनी भी है और गलत भी है। यह हमारे साथ अन्याय है। सरकार को वंशानुगत समिति का गठन कराया जाना चाहिए।
योजनाओं को लाभ उठाने में अक्षम
पर्याप्त जागरूकता और अल्प शिक्षा के कारण मछुआरा समुदाय चले वाली करीब दर्जभ भर योजनाओं से दूर है। समिति के अनुसार केंद्र सरकार नील ग्रंथि योजना के तहत मिलने वाली मोटर साइकल में मिलने वाले 40 से 60 प्रतिशत तक की सब्सिडी का भी उन्हें आज तक लाभ नहीं मिल पाया है। इसके अलावा मछुआरा क्रेडिट कार्ड योजनान्तर्गत भी बनने कार्ड नहीं मिले हैं। जबकि दुर्घटना बीमा और अन्य सुविधाओं से भी वे महरूम हैं।
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