हम भी फिरते हैं शहर में दीवानों की तरह, तेरा दर्द सुनने की फुरसत किसको है
तवज्जो की जरूरत महसूस कर रहीं भोपाल की ऐतिहासिक इमारतें
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भोपाल। हम भी फिरते हैं शहर में दीवानों की तरह, तेरा दर्द सुनने की फुरसत किसको है। यह शेर भोपाल की कदीमी और गौरवशाली इतिहास की गाथा कहती इमारतों पर एकदम फिट बैठता है। एक अर्से से दमदार आवाज में इतिहास को दोहराती भोपाल की इमारतें अब अपनी आवाज भी खो बैठने को है। जिस आन-आन और शान की हम भोपाली कसीदे गढ़ते रहे हैं, वह अब हवाबाजी साबित हो रही हैं। जगह-जगह रोककर अपनी कहानी सुनाने को तैयार यह इमारतें अब मटियामेट होने के मुहाने पर हैं, लेकिन अब इन्हें देखने की फुरसत किसी को नहीं । एक दिन वह आएगा जब सरकारों का मुंह देखती, लफ्फाजी और बतोलेबाज भोपालियों के गवाह भी ये नहीं बन सकेंगी। किस बात पर इठलाना, किस बात का गुरूर। भोजपाल से भोपाल के तामीरी कहानी के ये मील के पत्थर शनै-शनै जमीन छोडऩे को तैयार हैं। जो बची रहीं उनपर सियासी चादर लपेटकर दूसरे रंग में तब्दील किया जा रहा है। अब भी समाजिक सरोकार में इनसे राब्ता करने वाला कोई नहीं। कुछ तंजीमें कोशिश में ज़रूर हैं मगर एक अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता।
कभी सुंदरता को बयां करती थीं आज रोड़ा कहलाती
सरकार के प्रयासों से सदर मंजिल को रेनोवेशन किया गया है। जल्द ही इसे प्रदेशवासियों के लिए खोला जाएगा। खाली रंग रोगन से ही इसका गौरवशाली प्रभाव सौ भोपाल पर भारी है। इसी कड़ी में अपनी बारी का इंतजार करती कई इमारतें गिरने को हैं। भारी ट्रेफिक का शोर और पर्यावरण की मार झेल रहीं इमारतों को अब रोड़ा समझा जाने लगा है। कई दरो-दीवारों को हटा दिया गया है। नई इमारत बनी, मगर इतिहास खत्म हो गया। भोपाल की पहचान भी खत्म होने लगी।
स्मार्ट सिटी में भी कायम रखा जाए इनका गौरव : जमीअत
एतिहासिक इमारतों और मकबरों का संरक्षण किआ जाना चाहिए। सिर्फ सदर मंजिल ही क्यों, यहां की ऐतिहासिक इमारतों ने नगर निगम, पर्यटन विभाग और प्रशासन की अनदेखी की वजह से ओझल होना स्वीकार कर लिया है। हालांकि ये ऐतिहासिक इमारतें स्मार्ट सिटी में तब्दील होते भोपाल को बहुत कुछ दे सकती है। बावजूद इसके असली सुंदरता के होते हुए काल्पनिक सुंदरता पर खर्च किया जा रहा है। भोपाल के बुलंद दरवाजे बेजान पड़े है। महलों और बावडिय़ों को भुलाया जा रहा है। इनका संरक्षण किया जाना चाहिए। जमीअत उलमा भोपाल के प्रेस सचिव इमरान हारून ने कहा कि भोपाल की खूबसूरती और इतिहास को बचाने के लिए आमजन को इसकी पहल की जानी चाहिए। हमारी धरोहर हमें ही संभालनी होगी। इन इमारतों और दरवाजों को अतिक्रमण मुक्त कराने की पहल फौरी तोर पर होनी चाहिए।
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