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75 हजार आशा उषा संयोगिनी की हड़ताल की चेतावनी

 सरकार की उपेक्षापूर्ण रवैया से खफा

75 हजार आशा उषा संयोगिनी हड़ताल के लिए विवश

भोपाल। मप्र आशा उषा संयोगिनी संगठन सरकार के उपेक्षापूर्ण रवैये से खफा हैं। अपनी विभिन्न समस्याओं और मांगों को लेकर हालांकि संगठन ने सरकार को चेताया है और 7 सूत्रीय ज्ञापन पत्र सौंपा है। सरकार को अपनी विभिन्न मांगों के लिए 20 जून तक का समय देते हुए संगठन ने चेताया है कि इसके बाद संगठन से जुड़ी करीब 75 हजार आशा-उषा कार्यकर्ता हड़ताल पर जाने को विवश होंगी। संगठन ने यह भी चेतावनी दी है कि इससे प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा जाएंगी। 

इस संबंध में प्रदेशाध्यक्ष विभा श्रीवास्तव ने पदाधिकारियों के साथ राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के डायरेक्टर डीडी साकल्ले, आरती पांडे आशा मोबलाइजर को अपनी मांगों के संबंध में एक ज्ञापन सौंपा है। संगठन की अध्यक्ष का कहना है कि प्रदेश की आशा उषा सहयोगिनी को वर्ष 2006 में नियुक्ति किया गया था, बावजूद इसके उनको किसी भी प्रकार का मानदेय नही दिया जा रहा है। जबकि उनकी बदौलत मप्र में मातृ और शिशु मृत्यु दर कम करने में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। साथ ही टीककरण, स्वास्थ्य संबंधी सभी सेवाओं और शिशुओं एवं गर्भवती माताओं की देखभाल करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती हंै। संगठन ने अपनी सात मांगों को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी को पत्र भी लिखा है, लेकिन अब तक उनकी मांगो पर कोई ध्यान नही दिया गया है।  

7 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन सौंपा  

संगठन की प्रदेशाध्यक्ष ने बताया कि संगठन द्वारा 7 सूत्रीय ज्ञापन सौंपा गया है जिनमें आशा सहयोगी को 30 दिन का पूर्ण भुगतान, पेट्रोल भत्ता बढ़ाने, आशा एवं सहयोगी कर्मचारी को शासकीय कर्मचारी घोषित करने, गांव में आरोग्य केन्द्र पृथ्क करने, आशा कार्यकर्ता 9 माह तक गर्भवती माता का ध्यान रखकर उनकी डिलेवरी कराती है इसलिए उसका पारितोषिक 1200 रुपये करने, आशा सहयोगी को 15,000 एवं आशा कार्यकर्ता को 10,000 प्रतिमाह फिक्स मानदेय प्रदान करने एवं शहरी एवं ग्रामीण आशा कार्यकर्ताओं को समान वेतनमान दिए जाने की मांग की गई है।  

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